संतकबीरनगर। बूंदीपार गांव निवासी प्रतिमा ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस देवर विक्रम त्रिपाठी उर्फ कन्हैया को बेटे की तरह मानती थी। खाना खिलाती थीं, वहीं देवर एक दिन उसके पति विनायक त्रिपाठी की निर्मम हत्या कर देगा। उसे सुहागिन से विधवा बना देगा, उसके दो बेटे को अनाथ कर देगा। उसने जीवन में कभी इसकी कल्पना नहीं की थी।

अब जिंदगी का एक-एक पल काटना मुश्किल हो जाएगा।आंखों से छलकते आंसुओं के बीच प्रतिमा ने कहा कि उनके पति विनायक बड़ी मुश्किल से कर्ज पर ई रिक्शा खरीदे थे। इससे किस्त भरने के साथ ही थोड़ा-थोड़ा पैसा जमा करने लगे। इस पैसे से दो गाय खरीदे थे। ई-रिक्शा व गाय के दूध से आमदनी हो रही थी। उन्हें यह भरोसा था कि वे कमाई करके कर्ज जमा कर देंगे। छह वर्षीय बेटे अनमोल त्रिपाठी व चार वर्षीय अखंड त्रिपाठी को पढ़ा लिखाकर उनका बेहतर करियर बनाएंगे। घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेंगे।
खुशहाल जीवन बिताएंगे
खुशहाल जीवन बिताएंगे। शनिवार की देर रात उनके देवर ने पति की निर्मम हत्या करके उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। अब पति के बिना जिंदगी का एक-एक पल काटना मुश्किल हो जाएगा। दो मासूम बेटों को पढ़ाई, भरण-पोषण सहित सारी जिम्मेदारीउन पर आ गयी है। उनके ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है।पिता की ममता की छांव से वंचित हुए दो मासूमः ई-रिक्शा चलाकर परिवार के सदस्यों का भरण-पोषण करने वाले विनायक त्रिपाठी की मृत्यु से पत्नी प्रतिमा का रो-रोकर बुरा हाल है।
उनकी निगाहें जब-जब अपने दो मासूम बेटे छह वर्षीय अनमोल त्रिपाठी व चार वर्षीय अखंड त्रिपाठी पर पड़ती है, तब-तब वह रोने लगती। इस हत्याकांड से घर में कोहराम मचा हुआ है। किसी ने यह कल्पना नहीं की थी कि एक दिन ऐसा भी आएगा।