अयोध्या। जलवायु परिवर्तन के कारण दिन प्रति दिन खेती किसानी में मौसम m संबंधित जोखिम बढ़ता जा रहा है। समय पर किसानों को सटीक पूर्वानुमान दिए जाने की मांग भी बढ़ रही है, लेकिन आचार्य नरेंद्रदेव कृषि विवि प्रशासन की लापरवाही से बहराइच जोन के किसानों की मुसीबत बढ़ने वाली है। अब इस उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्र के सात जिलों में मौसम पूर्वानुमान के प्रसारण पर ही संकट खड़ा हो गया। इससे संबंधित मौसम वैज्ञानिक पद पर ही खतरा है।
इसकी वजह वित्त प्रदायी संस्था भारत मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) की ओर से बजट न जारी किया जाना है।यहां तैनात विज्ञानियों के वेतन का बजट आइएमडी देता था। बहराइच सहित देश के कुल दस केंद्रों का बजट रोका गया है। विवि की लापरवाही के कारण पर यहां सृजित वैज्ञानिक पद के सापेक्ष वर्षों से नियुक्ति ही नहीं की जा सकी। जब कि बार-बार आइएमडी इसके लिए विवि प्रशासन पर दबाव भी बनाता रहा। इसी कारण वहां का बजट जारी नहीं किया गया। चर्चा है कि यहां सृजित वैज्ञानिक पद को ही समाप्त करने की तैयारी चाल रही है।
बहराइच केंद्र का वित्तीय
बहराइच केंद्र का वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट अवमुक्त नहीं हुआ। आचार्य नरेंद्रदेव कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत पूर्वांचल के 27 जिलों में दो एब्रोक्लाइमेटिक जोन हैं, एक पूर्वी मैदानी क्षेत्र तथा दूसरा उत्तर-पूर्वी मैदानी क्षेत्र है। पूर्वी मैदानी क्षेत्र के अंतर्गत कुमारगंज कृषि विवि मुख्यालय में तथा उत्तर- पूर्वी मैदानी क्षेत्र फसल अनुसंधान केंद्र बहराइच में है।
कृषि-मौसम प्रक्षेत्र इकाई स्थापित
जहां एक कृषि-मौसम प्रक्षेत्र इकाई स्थापित है। बहराइच केंद्र से पूर्वांचल के सात जिले बहराइच, गोंडा, श्रावस्ती, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, देवरिया तथा बालरामपुर के किसानों को कृषि मौसम सेवाएं प्रदान की जा रहीं हैं।बहराइच केंद्र को लेकर प्रारंभ से ही विश्वविद्यालय प्रशासन उदासीन रहा। किव्हराइच में वैज्ञानिक पद पर डा. अरविंद श्रीवास्तव वर्ष 2008 से 2010 तक अस्थाई रूप से सेवा दे चुके हैं। वयं 2010 में उनके पीएचडी में प्रवेश लेने के बाद से यह पद रिक्त है। तब से आज तक न तो नियमित और न अस्थाई रूप से वैज्ञानिक नियुक्ति कर पाया।
विवि के मीडिया प्रभारी आशुतोष सिंह ने प्रकरण की जानकारी होने से इन्कार कर दिया है।