कानपुर: पुलिस मुठभेड़ की कहानी अदालत
में झूठी साबित हुई। 13 साल पहले एक अभियुक्त से जिस तमंचे बरामदगी दिखाई गई थी और वह दूसरे मामले में मालखाने में रखा था, उसी तमंचे से पुलिस पर फायरिंग दिखा दी गई। अपर जिला जज 21 विनय सिंह की कोर्ट में दो लोगों से चोरी का सामान बरामदगी और पुलिस पर फायरिंग के बाद मुठभेड़ में दो लोगों के घायल होने का मुकदमा कोर्ट में नहीं ठहरा।
अदालत ने दोनों को दोषमुक्त करार
अदालत ने दोनों को दोषमुक्त करार दिया। अदालत ने कहा है कि पूरा घटनाक्रम संदिग्ध है। आदेश की सत्यापित प्रतिलिपि पुलिस आयुक्त को भेजी जाए। विस्तृत और उच्चस्तरीय जांच कराकर तीन माह में रिपोर्ट अदालत में भेजी जाए। यही नहीं कोर्ट ने निर्देशित किया है कि नजीराबाद थाना प्रभारी ज्ञान सिंह समेत पूरी पुलिस टीम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर विवेचना कराई जाए।
थाना अरमापुर में नजीराबाद थाना प्रभारी निरीक्षक ज्ञान सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। कहा था कि वह दारोगा सुरजीत सिंह, सिपाही बालमुकुंद पटेल, हेड कांस्टेबल ब्रजेश कुमार, जीप चालक अमित कुमार के साथ 21 अक्टूबर 2020 को गश्त पर थे। वाहन चेक करने के दौरान एक मोटरसाइकिल पर सवार दो लोगों को रोका गया तो वे भागने लगे। उनका पीछा किया गया तो काकादेव होते हुए अरमापुर की तरफ भागने लगे। इसकी सूचना वायरलेस पर दी गई। अरमापुर स्टेट गेट के पास थाना अरमापुर प्रभारी निरीक्षक अजीत कुमार वर्मा फोर्स के साथ खड़े थे।
बाइक गिरा कर दोनों ने तमंचे से फायरिंग
वह बदमाशों को पकड़ने के लिए चलने लगे। तभी केंद्रीय विद्यालय के सामने बदमाशों ने अपने को घिरा समझते हुए बाइक गिरा दी और दोनों ने तमंचे से फायरिंग शुरू कर दी। इस पर दोनों प्रभारियों ने भी पिस्टल से फायर किए तो दोनों बदमाश जमीन पर गिर पड़े। नाम पूछने पर दोनों ने सीटीएस कच्ची बस्ती कल्याणपुर निवासी अमित और कुंदन नाम बताए। दोनों की जेब से सोने की दो चेन, एक हजार रुपये, तमंचा बरामद हुआ। दोनों ने बताया कि बरामद सोने की चेन उन्होंने नजीराबाद थाना क्षेत्र से लूटी थीं।
इस तरह खुली पुलिस की पोल
बचाव पक्ष ने अदालत में कहा कि सभी पुलिसकर्मियों ने गवाही में थाने से रवानगी और रपट संख्या का उल्लेख नहीं किया है। जीडी भी पेश नहीं की गई है। केंद्रीय विद्यालय में सुरक्षा के लिए चौकीदार रहते हैं। अंदर उनके निवास है। अध्यापक भी अंदर ही रहते हैं। उन्हें स्वतंत्र गवाह बनाने का प्रयास नहीं किया गया। अभियुक्तों की फायरिंग से न तो पुलिसकर्मियों को चोट आई और न ही उनके वाहनों में कोई क्षति हुई। कहा है कि नजीराबाद थाना प्रभारी अभियुक्तों की तरफ पीठ किए थे। सवाल किया गया कि जब पुलिस बदमाशों की घेरेबंदी कर रही थी तो उनकी पीठ अभियुक्तों की तरफ कैसे हो सकती है।
मरियमपुर के पास सीसी कैमरे लगे हैं लेकिन कोई फुटेज नहीं दिखी। कहा कि किसी पुलिसकर्मी को कोई चोट नहीं है तो यह हत्या करने की नीयत से फायर नहीं माना जाएगा। बरामद तमंचे पर पूर्व से ही काले स्केच पेन से सीएमएम 13 मई 2014 दर्ज है यानी यह तमंचा अभियुक्तों से बरामद नहीं है। स्पष्ट है कि यह तमंचा सीसीएम कोर्ट में पहले ही सीन है। इस तमंचे की बरामदगी 2007 में दर्ज मुकदमे में ऋषभ श्रीवास्तव पर दिखाई थी। वह 25 अगस्त 2018 को दोषमुक्त हो चुका है।
अपील का समय खत्म हो चुका था, इसलिए तमंचा नष्ट कर दिया जाना चाहिए था। ऐसा प्रतीत होता है कि नजीराबाद थाना प्रभारी ने यह तमंचा मालखाना या अन्य प्रकार से प्राप्त कर झूठी बरामदगी दिखाई है। अभियोजन की तरफ से 10 गवाह कोर्ट में पेश किए थे। सभी गवाह पुलिसकर्मी थे।