श्रद्धालुओं का, आस्था का केन्द्र स्वर्गाश्रम मंदिर
आस्था
भगवान शिव के साथ श्रीराम एव श्रीकृष्ण के दर्शन होते हैं यहां
माता-पिता की याद में सिंह बन्धुओं ने कराया था मंदिर का निर्माण कप्तानगंज क्षेत्र के कौड़ीकोल गांव में बने स्वर्गाश्रम मंदिर पर प्रदेश के कोन- कोने से भक्त आ कर मन्नत मांगते हैं। मनोकामना पूर्ण होने पर हवन, पूजन, जलाभिषेक व अन्य अनुष्ठान कराते हैं। ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से जो कुछ मांगा उसे स्वर्गाश्रम से निराश नहीं होना पड़ा। इस मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि यहां भगवान शंकर तो हैं ही, प्रभु श्रीराम और नन्दलाल भी विराजमान हैं। एक साथ तीन देवों की प्राणप्रतिष्ठा यहां पर हुई।
कौडीकोल निवासी भवानी सिंह के दो पुत्रों भरतराज सिंह एवं परशुराम सिंह ने इस विशाल मंदिर की आधार शिला 2002 में रखा, जो 2005 में बनकर तैयार हुई। अयोध्या धाम से पधारे सन्त महात्माओं ने 7 जून 2005 को वैदिक मंत्रों के साथ 110 फिट ऊंचाई के बने इस विशाल मंदिर में देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा कराई।
क्षेत्रीय जन यहां दर्शन,पूजन व मनौती को आते हैं। सावन महीने व मलमास में यहां शिवभक्तों की भारी भीड़ जुटती है। सोमवार, त्रयोदशी सहित महाशिवरात्रि को विशाल मेला का आयोजन होता है। जन्माष्टमी पूर्व भी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। मकर संक्रान्ति के दिन भी मेला लगता है। इसके अगले दिन विशाल भण्डारा होता है जिसमें हजारों की संख्या में लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं। माता-पिता की स्मृति में बने इस मंदिर को स्वर्गाश्रम नाम दिया गया। मंदिर के पुजारी पं. बजरंगी कहते हैं कि श्रीमद्भागवत कथा, श्रीराम कथा, यज्ञ अनुष्ठान, मुण्डन, विवाह, संस्कार सहित वर, कन्या का दिखाने का यहां काम होता है। कौड़ी कोल निवासी अजय उपाध्याय कहते हैं कि अब तक यहां से कोई खाली हाथ नहीं गया। सभी की मनोकांमाएं पूर्ण हुई। लोग बताते हैं| कि सिंह बन्धुओं ने इस विशालकाय मंदिर का निर्माण कराकर हजारों लोगों के लिए अच्छा व नेक कार्य किया है। यहां आने से सबका भला होता है। रहवलिया निवासी रामसहाय पाठक बताते हैं कि मूर्तिकार जंगबहादुर सिंह ने अपने कुशले हाथों से ऐसी कारीगरी की है कि यहां आने वाला हर कोई यह कहने को मजबूर हो जाता है।
इतिहास
इस मंदिर का निर्माण 23 वर्ष पूर्व हुआ था। कौडिकोल ग्राम निवासी रामसुधार सिंह को बीमारी के दौरान प्रेरणा हुई कि गांव के पूर्वी सिरे पर शिव मंदिर का निर्माण करवाएं। उनकी इच्छा के अनुसार उनके परिजनों ने वर्ष 2000 में जन सहयोग से यहां शिव मंदिर का निर्माण शुरू कराया 12 वर्ष के भीतर ही यह मंदिर बनकर तैयार हुआ। प्रकांड विद्वानों के निर्देशन में यहां विशाल शिवलिंग की स्थापना हुई। काफी ऊंचा गुंबद युक्त मंदिर काफी दूर से ही दिखाई देता है।