प्रयागराजः सुप्रीम कोर्ट ने प्रगागराज में विन्ना उचित प्रक्रिया का पालन किए घरों को गिराने की कार्रवाई पर विकास प्राधिकरण के प्रति भले ही गहरी नाराजगी व्यक्त की हो और इस प्रकार की कार्रवाई को अमानवीय और गैरकानूनी बताया हो। लेकिन, प्रयागराज विकास प्राधिकरण पर इसका कोई असर नहीं होने वाला।
पीडीए के जिम्मेदार
पीडीए के जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी को सही तरीके से नहीं निभा रहे हैं तभी उन स्थानों पर भी आलीशान मकान बन गए हैं जहां नींव तक नहीं पड़नी चाहिए। शिाले पांच वर्षों में पीडीए की और से लगभग 250 अवैध निर्माण भवन तोड़े गए हैं। कई स्थानों पर लोगों ने विरोध किया। आरोप लगाया कि ध्वस्तीकरण के मामले में पाले नोटिस दिया जाना।
अवैध निर्माण और एलाटिंग
आवश्यक है, लेकिन हमें नहीं दी गई। का भी कहा गया कि पीडीए के अधिकारी पहले भवनों को दहाते हैंउसके बाद कागजी कार्यवाही पूरा करते हैं। शहर में हो रहे अवैध निर्माण और एलाटिंग को रोकने का जिम्मा प्रयागराज विकास प्राधिकरण की है। इसके बावजूद शहर में अवैध निर्माण तेजी से हो रहा है। पहले मकान बनता है और बाद में प्राधिकरण कार्रवाई करता है।
तेलियरगंज, लूकरगंज, रसूलाबाद, मेहंदौरी, बेली, चकिया आदि क्षेत्रों में कई मकानों अवैध बताते हुए बुलडोजर से दहा दिया गया। पौडीए के बाइलाज में है कि किसी भी अवैध निर्माण को बहाने के पहले नोटिस दिया जाता है। नोटिस में लिखा रहता है कि नोटिस जारी करने के 15 से 30 दिन में अवैध निर्माण दहाकर पौडीए को सूचित करना है।ऐसा न करने पर पोडोए ध्वस्तीकरण करेगा तो उसका खर्च अवैध निर्माण करने वाले को देना होगा। बताया जा रहा है कि पिछले चार वर्ष में जी भी निर्माण गर उसमें कई मामलों में निगमों को दरकिनार करते हुए ध्वस्तीकरण किया गया।
सूत्रों के अनुसार
सूत्रों के अनुसार, बैंक डेट की नोटिस जारी कर चास्तीकरण पांच से सात दिन पहले भवन में पस्या कर दी जाती है। पीडीए के अभिलेखों में भी तीन से चार बार नोटिस जारी होने का विवरण भी दर्ज कर लिया जाता है।